Wednesday, September 9, 2009

एक कहानी...

सावन का था मौसम जब देखा उसे पहली बार,

लगा जैसे सूनी महफिल-ऐ-जिंदगी में आ गयी हो एक नई बहार...


उसे देख एक मिनट में दिल धड़का एक सौ चार,

मन बोला, शाणे अब हो गया तुझे भी प्यार...


अरे ये तो बताना ही भूल गया दिन था वो बुधवार,

कितना हसीन था वो लाल दुप्पटे पे सफ़ेद सलवार...


ज़रा सी शरमाई हुई, खड़ी थी बस के इंतजार में,

साथ था एक दोस्त उसके, वो भी था उसीके जुगाड़ में...


अगले दिन जब वो हमसे टकराए तो लबों पर उनके मुस्कान आ रही थी,

क्या बताये मगर हमे भी, माँ कसम बहुत शर्म आ रही थी..


शर्माते हुए हम दोनों ने एक दूजे के नाम जाने

शर्म के अलावा हम भी थे और कुछ मन में ठाने...


हर पल सोचने लगे, उनसे बात करने के बहाने,

और तो और मिलने से पहले लग गए पांच-पांच बार नहाने...


दिल की बेचैनी हमारी पल-पल बढ़ती जा रही थी,

घर में, सड़क पे, जहा देखो वो ही वो नज़र आ रही थी...


मैं तो अब पालक की सब्जी खाने लगा था

तरह-तरह के कपड़े आज़माने लगा था..


ध्यान अब अपना रखने लगा था,

बार-बार आईना देखने लगा था,


कश्मकश है कैसी बताओ मेरे यार,

बस बता दो क्या ऐसे ही होता है प्यार...


ये सोचने में क्या यही है प्यार की बला,

दो महीने कैसे बीत गए कुछ पता ही न चला...


इन दो महीनो में हम जूस की उस दुकान पर मिलने लगे,

लगा ऐसे जैसे दिल में बहार के गुल खिलने लगे...


साथ-साथ घूमना, उन्हें हँसाना, यही हमारा काम था,

इन दो महीनो में इन लबो पे बस उनका ही तो नाम था...


दिल ने कहा कह दे, गर हो ख्वाहिशें हज़ार,

पर उस दिन हुआ उनका बस इंतज़ार, इंतज़ार, इंतज़ार...


दो बजे का था टाइम, घड़ी बजा रही थी चार,

हम कर रहे थे अभी भी उनका इंतज़ार,इंतज़ार,इंतज़ार...


शाम को सोचा, कहीं पता करें, कुछ तो मिले समाधान,

सोचा किसी ने ठीक कहा है, ये इश्क नहीं आसान...


शाम को कुछ लोग आये, और हमसे ये कह गए,

हमेशा के लिए वो गईं पटना और हम तन्हा रह गए...


खाने-पीने का न रहा ख्याल,

आता मन में एक सवाल...


प्यार बहुत खूबसूरत है, पता नहीं है किसने कहा,

आकर कोई हमसे पूछे, है क्या हमने सितम सहा...


रह-रह कर एक सवाल मेरे मन में आया,

पूछ रहा था भगवान से, तूने पटना क्यों बनाया???


चाहत थी कोई हमे भी चाहे, हम भी हों कमज़ोरी किसी की,

ऐ खुदा कैसा गज़ब ढाया , हम तो याद भी न बन सके किसी की...

- देवास दीक्षित

13 comments:

  1. ऐ खुदा कैसा गज़ब ढाया , हम तो याद भी न बन सके किसी की...

    बहुत खूब जनाब ... | बहुत खूब लिखा है ...
    लेकिन वो कहते है न की " इश्क होता नहीं सभी के लिए "

    खैर, लिखते रहिये ....
    शुभकामनाएं |

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  2. kya bat hai pyar ka bukhar acha byaan kiya

    acha laga padnaa

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  3. प्यार बहुत खूबसूरत है, पता नहीं है किसने कहा,
    आकर कोई हमसे पूछे, है क्या हमने सितम सहा...

    बरखुर्दार! ये रास्ते हैं प्यार के...

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  4. bahut khoob. blog jagat men swagat.

    bhai patna isliye banaya
    tumhen usko patana na aaya

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  5. अंजाम पहेले से पता होता तों कम्बख्त प्यार न करते....क्यों????
    सही है बेटा... लगे रहो...

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  6. gud man......
    u r really going very good in ur profession..
    keep it till d excellence...!!

    utkarsh
    1 f ur frends

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  7. awesome work dude.....keep it up....!!
    rockin poetry..!!!

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  8. hum ise ek trfa pyaar kahenge kyunki sacha pyar to apne pyar ko saat samundar paar se bhi waapas le ata h ,,shayad mai ise aaj k jamaane ki mauj masti hi kahu kyunki ye pyaar nahi h jo juice ki dukaan pr shuru hokar patna tk khatm ho jaae..par dekhiye bahla aap to bs patna pr ji atak gye...haaye footi kismat....in chakkro se dur hi rehne me bhlaai h..par sachi maja aa gya pad kr..hahahahah

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