मुझे आज भी याद है, वह दिन था, 8 सितम्बर 2000. रात के करीब 11 बज रहे थे. हम लोग राजस्थान के छोटे से शहर उदयपुर में रहते थे. घर पर मैं अपने छोटे भाई-बहन और माँ के साथ पापा का इंतज़ार कर रहा था. पापा दिल्ली गये थे. पापा का अचानक फ़ोन आया, माँ ने बात की. पता चला पापा दो घंटे में पहुँच जाएँगे. दरअसल हमलोगों को पापा से ज्यादा इंतजार किसी और चीज़ का था . हमारे परिवार का सपना था कि हम लोगों के पास भी एक अपनी कार हो. एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए यह बात एक सपने जैसी ही थी. पापा की काफी मेहनत के बाद यह सपना आज पूरा होने जा रहा था. पापा कार लेने दिल्ली गए थे. उस दिन तो मुझे दो घंटे दो सालों जैसे लग रहे थे. मैं बार-बार घड़ी देखता, बाहर आता, अन्दर जाता, फिर बाहर आता... पर दो घंटे थे कि ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहे थे. आखिरकार...
वो वक़्त भी आ गया जब मेरे कानो ने पहली बार अपनी पहली कार के हार्न की आवाज़ सुनी। मेरी ख़ुशी के ठिकाने का आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि मैं गेट खोलने ऐसी दशा में गया, कि अगर मुझे उस वक़्त शर्मीला टैगोर देख लेतीं तो या तो मुझे 'ए' सर्टिफिकेट दे डालतीं या खुद शर्मा जातीं। जो भी हो, गेट खुला, और नयी चमचमाती मारूति 800 गेट के अन्दर आ गई. रात काफी हो गयी थी. मैं कार का अलग-अलग कोणों से निरक्षण कर ही रहा था कि, माँ की तरफ से सोने का फरमान जारी हो गया. मजबूरन मुझे सोने जाना पड़ा. सुबह तो मैं खुद को मोहल्ले में बिल गेट्स से कम नही समझ रहा था. उस वक़्त मुझे मारूति भी मर्सडीज़ से कम नही लग रही थी. हम तीनो भाई-बहनों में खिड़की के पास बैठने के लिए झगड़ा होने लगा. मैं बड़ा था, एक खिड़की तो मेरी तय ही थी. सच कहूँ, तो वो दिन मेरे पूरे परिवार के लिए एक बहुत बड़ा दिन था और हो भी क्यों न, हमारा सपना जो पूरा हुआ था.
आज इस बात के लगभग दस साल हो गए हैं, पर उस दिन कि यादें आज भी मेरे मन में वैसी ही ताज़ा हैं, और शायद ताउम्र रहेंगी. मेरी मारूति आज भी मुझे वैसी ही लगती है.
यह तो थी मेरी बात, ऐसे न जाने कितने परिवारों के सपने मारूति ने पूरे किये होंगे.
आज मारूति को हम सबसे विदा लेनी पड़ रही है। 1983 से शुरू हुआ मारुती का यह सफ़र 2010 में लगभग पूरा हो गया है। मारूति 800 की 1 अप्रैल से 13 शहरों में बिक्री बंद हो गयी है. पर मारूति हमेशा मेरे और शायद आपके दिल में रहेगी.
आजतक जो किसी लड़की से नहीं बोल पाया वो बोलना चाहता हूँ,
मारूति आई लव य़ू...! एम् गोंना मिस य़ू बेबी...!!!
देवास दीक्षित 'कृत'
Thursday, April 15, 2010
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nice blog dear...good luck
ReplyDeleteaapne mere ghar pr kaafi saal pehle aayi car ki yaadein taaja kr di...keep writing ..all d best
ReplyDeleteGOOD VERY GOOD KEEP IT UP MY WISHES R WITH U.
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