Wednesday, March 3, 2010

भई हद हो गई...!!!


भई हद हो गई!
जा रहा था कालेज सुबह,
भाड़ा बस का कम हो गया, हद हो गई...

जगह नहीं थी बस में,
एक सज्जन सीट दे बैठे, हद हो गई...

सोच रहा था, लेट हूँ मैं,
सड़क पर जाम न मिला, हद हो गई...

सबने हंस के बातें की,
गाली-गलौज गायब थी, हद हो गई...

थोड़ी में पता चला,
एल.पी.जी के दाम गिर गए, हद हो गई...

चीनी फिर से सस्ती हो गयी,
महंगाई जग से खो गई, हद हो गई...

अचानक गिर पड़ा बिस्तर से,
नींद मुझे छोड़ गई, हद हो गयी...


अरे कुछ नहीं यार! सपना था...

भई हद हो गयी...!!!

- देवास दीक्षित
कृत

2 comments:

  1. बहुत अच्छा । बहुत सुंदर प्रयास है। जारी रखिये ।

    आपका लेख अच्छा लगा।

    हिंदी को आप जैसे ब्लागरों की ही जरूरत है ।


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  2. ek haasya kavita sochne per majboor ker gai...
    Bhai had ho gai...!

    Bahut badhiya devas babu...!
    Badhiya rachna.
    haardik Badhaai evam shubhkaamnayen

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