न खून, न घाव, न तलवार, न गोली...
फिर भी जंग जारी है।
इस लड़ाई का मैं मारा,
लड़ रहा हूँ, परस्पर...
जंग अभी जारी है,
बहुत मारामारी है।
क्या जाने क्या कर पाऊंगा,
जाने कौन या यूहीं मिट जाऊँगा.
जिंदगी के दरिया का मैं शानावर,
पायाब की तलाश में...
ज़जीरों से गुज़रता रहा हूँ अक्सर
अपने आप से लड़ने की,
ताक़त अभी बाकी है...
जंग अभी जारी है,
बहुत मारामारी है।
मैं क्या हूँ, मैं कौन हूँ,
अपने अक्स से अंजान,
शायद खुद को 'देवास' की चाहत हो,
ढूंढता हूँ वह जो मेरी राहत हो...
नया जोश भरने के खातिर,
खुद को भट्टी में झोंकने की,
अपनी भी तैयारी है,
जंग अभी जारी है,
बहुत मारामारी है।
पर ठान रखा है कुछ हमने भी,
हैं, और रहेंगे सपने अपने भी।
मुखाल्फ्तों का खौफ नही,
बेकार सिफत का मुझे भी शौक नहीं.
उस उफक को पाने की,
ग़ुरबत अभी बाकी है...
जंग अब भी जारी है,
बहुत मारामारी है।
होंगीं अपने लिए भी बज्में,
यूहीं लिखता रहूँगा नज्में...
सर्फ़ होती जिंदगी की,
मंजिल अभी बाकी है.
बस थोड़ी रजिश की ही दरकारी है,
जंग अब तलक जारी है,
वाकई बहुत मारामारी है...
-देवास दीक्षित 'कृत'
Friday, July 30, 2010
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जंग अभी जारी है,
ReplyDeleteबहुत मारामारी है...
बहुत खूब...सुधर हैं...
देवास जी जंग कभी खत्म नहीं होगी, आप लिखना जरी रखिये हम पढना.......दिल कर रहा है कुछ करने का पर दिल का हाल क्या है वयां कर दिया आपने
ReplyDeletenice yar :)
ReplyDeleteदेवास बाबू क्या कहूँ यार ... कलेजा निकाल के रख दिया
ReplyDeleteजिंदाबाद जिंदाबाद जिंदाबाद जिंदाबाद ....
ye jang to kabhi khatam ho hi nahi skti kyunki jindgi hr pal har mod par kuch nya sikhati h,,,aur insaan k khatan hone k sath hi ye jang khatam hogi ..aisa mera man na h...bs bagwaan pr bharosa rakhiye ,,vo sab acha karenge
ReplyDeleteDum hai
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